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Monday 7 May 2018

खेलो इंडिया राष्ट्रीय कार्यक्रम essay in Hindi




                       





भारत खेल के क्षेत्र में एक बहु प्रतिभाशाली देश है, लेकिन क्रिकेट और हॉकी के अतिरिक्त अन्य खेलों में अभी तक उच्च स्थान प्राप्त करने में भारत को सफलता हाथ नहीं लगी है.  हालांकि हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं है, किन्तु खिलाड़ियों को उचित व्यवस्था के अभाव में अच्छा प्रदर्शन करना काफी चुनौतियों भरा होता है. इन खिलाड़ियों की प्रतिभा को नए मुकाम तक पहुंचाने के लिए सरकार ने खेलो इंडिया स्कीम को लॉन्च किया है. इस महत्वपूर्ण कदम से ओलिंपिक में भी भारत की रैंकिंग सुधारने की कोशिश की जा रही है. हालांकि इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों के खिलाड़ियों को प्रोत्साहन एवं सुविधाओं की कमी को पूरा करना है.
                             भारत सरकार ने खेलो इंडिया स्कीम की घोषणा अभी 2017 में कुछ समय पहले सितम्बर माह में 20 तारीख को की थी. केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह के अनुसार इस योजना को सभी पहलुओं पर ध्यान रखते हुए बनाया गया है, हालांकि इस प्रोग्राम के चेयर परसन स्वयं प्रंधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी है. इस स्कीम को पूर्ण रूप से सँभालने की जिम्मेदारी यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट मंत्रालय की होगी. हालांकि इस योजना को 2017 से ही सरकार द्वारा लागू कर दिया गया है, लेकिन सरकार इस योजना को 2017-18 से 2019-20 तक और भी बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है. कुछ देशों के मुकाबले हमारे देश में एक या दो खेल छोड़कर बाकी खेलों में भविष्य कम दिखायी देता है. इसके चलते देश की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुधरने में काफी धीमी है, इस प्रोग्राम के जरिये सरकार उन सभी एथलीट को बेहतरीन सुविधा देगी जो गरीब परिवारों से निकलकर खेलों में अपना भविष्य बनाना चाहते है. इस योजना की वजह से देश में खेलों के हालात बेहतर हो सकते है.
                भारतीय खेल मंत्रालय के द्वारा इसकी संख्या अभी हाल में 1000 ही निर्धारित की गयी है, जो कि सिर्फ क्षमता रखने वाले चुनिंदा खिलाड़ियों को प्रदान कराई जाएगी. जिसकी मदद से ये सभी खिलाड़ी अपने हुनर को एक नया मुकाम दे पायेंगे. सरकार ने इस प्रोग्राम के तहत चुने जाने वाले खिलाडियों को यह स्कॉलर्शिप 8 वर्ष तक देने की व्यवस्था की है. यह स्कॉलरशिप खिलाड़ियों को उनकी खाद्य सम्बन्धी शारीरिक आपूर्ति एवं खेल सम्बन्धी उपकरणों की जरुरत पूरा करने के लिए दी जाएगी. इसके अंतर्गत 5 लाख तक की राशि हर वर्ष एक खिलाड़ी पर खर्च की जाएगी. 
                इस योजना के अंतर्गत सरकार ऐसे खिलाड़ियों को तैयार करेगी, जो देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रतिभा उजागर करने का दमखम रखते है, इसके लिए सरकार की तरफ से पैसे भी दिए जायेगे. हालांकि भारतीय सरकार का मुख्य लक्ष्य सिर्फ एथलीटस को ही प्रमोट करने का नहीं है बल्कि खेलों की अहमियत पूरे देश में फैलाना है. इस स्कीम की सहायता से महिलाओं को बचपन से ही खेलों में भाग लेने के लिए हर तरह से मदद मिलेगी. इसमें लड़का और लड़की दोनों को उनके बचपन से ही अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर प्रदान होगा. इस प्रोग्राम से हमारे देश की बच्चियों को भी एक नयी पहचान मिलेगी.  
                
              मंत्रालय खेल प्रशिक्षण के लिए 20 विश्वविद्यालय का चयन करेगा, जोकि खेल प्रशिक्षण के साथ साथ शिक्षा सम्बन्धी पाठ्यक्रम भी चलाएगी अर्थात सरकार खिलाड़ियों को दोनों तरफ से लाभ पहुंचाने में कार्यरत है.हमारे देश के बहुत से नौजवान सुविधाएं न होने की वजह से मजबूरी में अपनी प्रतिभा से हटकर अपना करियर चुनते है. ऐसा अक्सर ग्रामीण एवं पिछड़े इलाकों में अधिकतर देखने को मिलता है जिसकी वजह से देश और समाज दोनों पर असर पड़ता है. इतना ही नहीं देश के काम आने वाली यह प्रतिभा सामने ही नहीं आ पाती और ये नौजवान भी अपने भविष्य में कुछ अच्छा नहीं कर पाते.
              इस अत्याधुनिक GIS तकनीकी के जमाने में किसी भी स्पोर्ट्स केंद्र की लोकेशन पता करना बेहद आसान है, जिसके फलस्वरूप जो भी खिलाड़ी प्रशिक्षण लेना चाहता हो अपने पास के केंद्र में जाकर प्राप्त कर सकता है. फिलहाल केंद्रीय सरकार स्पोर्ट फॉर एक्सीलेंस और स्पोर्ट फॉर ऑलइन दो वाक्या का प्रचार काने में लगी हुयी है, “सब खेलो और सब बड़ोइसी सोच को आगे बढ़ाते हुए सरकार देश में खेलों का स्तर सुधारने में लगी हुई है. अभी के लिए 500 करोड़ रु केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को व्यवस्थित रूप से शुरू करने के लिए दिए गए है, इसमें से 130 करोड़ रु स्टेडियम और प्रशिक्षण केन्द्रो में खेल सम्बन्धी उपकरण जुटाने एवं रख रखाव करने के लिए दिए जाएंगे. जबकि 230 करोड़ रु सरकार देश में विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करने में खर्च करेगी. इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा 100 करोड़ रु प्रतिभा को ढूढ़ने वाली समितियों को दिए जायेंगे जिसकी सहायता से वो खेल प्रतिभा सम्बन्धी प्रतियोगिताओं का आयोजन करा सकें, अगर पूरे बजट की बात की जाय तो सरकार ने 1756 करोड़ रु सन् 2017 से लेकर सन् 2020 तक के लिए खर्च करने की योजना बनाई है.

                आवेदक स्पोर्ट स्कालरशिप पाने के लिए सरकार ने 8 वर्ष से लेकर 18 वर्ष के बीच ही निर्धारित की गयी है. इस प्रोग्राम से स्कॉलरशिप राशि प्राप्त करने के लिए आवेदक का ग्रामीण, पिछड़े और सुविधाओं से वंचित क्षेत्र का निवास प्रमाण पत्र होना जरुरी है. भारत सरकार की नियमावली पत्रिका में एक आवेदक खिलाड़ी केवल एक ही खेल का चुनाव कर सकता है. अर्थात जो भी आवेदक इसका हिस्सा बनना चाहता है उसे अपना एक ही खेल में प्रशिक्षण देने का प्रावधान है. इस योजना का निर्माण गरीब और पिछड़े क्षेत्रों में खेलों को प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु किया जा रहा है. इस योजना की सहायता से सरकार भारत देश की प्रतिभा से पूरे विश्व को परिचय कराने की सोच रही है. इस योजना की मदद से उन खिलाड़ियों को मदद मिलेगी जो क्षमता होने के बाद भी पैसे या साधन न मिलने से पीछे रह जाते है. इस प्रोग्राम से खेलों में भारत की विश्व स्तरीय रैंकिंग तालिका में ऊपर जाने की सम्भावना की जा रही है.  इसके माध्यम से देश के सभी क्षेत्रो से प्रतिभा खोजने का अनुमान लगाया जा रहा है. इसकी सहायता से महिलाओं को भी खेलों में प्रोत्साहन दिया जायेगा. भारत सरकार के द्वारा यह कदम खेल क्षेत्र में सुधार के लिए उठाया है.
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